नई दिल्ली। नरेन्द्र मोदी सरकार के चुनावी नारे अच्छे दिन को सही मायने में अमली जामा पहनते देखने का समय आ गया है। खबर है कि अब सरकार आवश्यक वस्तुओं की कीमतें खुद तय करेगी। इससे एमआरपी कीमत के खेल से जनता को निजात मिल सकेगी।
एक अंग्रेजी अखबार की खबर के मुताबिक खुले और पैक्ड वस्तुओं की कीमतों में भारी अंतर के मध्येनजर यह फैसला किया गया है। अगर सरकार आवश्यक चीजों की कीमतें तय करती है तो कोई भी दुकानदार तय कीमत से ज्यादा वसूल नहीं कर पाएगा। सरकार द्वारा जिन चीजों की कीमतें तय की जानी हैं उनमें दूध, दाल, चीनी और तेल जैसी आवश्यक वस्तुएं शामिल हैं।
नियमों में हुआ संसोधन
बताया गया है कि पिछले दिनों दाल की कीमतों में भारी उछाल देखा गया और इसी के चलते खुली और पैकिंग वाली दाल की कीमतों के अंतर को कम करने के लिए नियमों में संसोधन किया गया है जिससे सरकार की तरफ से खुदा मूल्य निर्धारित किए जा सकें।
जारी हुई अधिसूचना
बताया जाता है कि इस ओर 7 सितंबर को अधिसूचना जारी की गई है। इसमें कहा गया है कि अगर सरकार कीमत तय करती है और मानक मात्रा 500 ग्राम, एक किलोग्राम या दो किलोग्राम तय करती है, तो खुदरा विक्रेता को इन नियमों का पालन करना होगा। नियमों में संशोधन के मुताबिक, यदि किसी भी आवश्यक वस्तु की खुदरा बिक्री कीमत तय की गई है और आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत सक्षम प्राधिकारी द्वारा अधिसूचित किया गया है, तो इसे लागू करना अनिवार्य है।
अधिकारियों ने बताया कि नियमों की अनदेखी करने वाले खुदरा विक्रेता पर 5000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा साथ ही उसके पास जमा माल को भी जब्त कर लिया जाएगा।
अधिकारियों ने बताया कि ऐसा नियम इसलिए बनाया गया है क्योंकि दुकानदार जुर्माना देने से उतना नहीं डरते जितना कि सारा माल जब्त किए जाने से। इस कानून में दुकानदार अपना सारा माल एक साथ न बेच दे, इस बात का ध्यान रखा गया है। इन नियमों के लागू होने से आवश्यक वस्तुओं के मामले में अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) की अवधारणा खत्म हो जाएगी। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने जुलाई में सभी राज्यों को दाल और अन्य जरूरत की वस्तुओं की कीमतें तय करने से संबंधित कानून बनाने को कहा था कि जिससे की बढ़ती महंगाई पर लगाम लगाई जा सके।
Source - Patrika