टोक्यो। एशिया और विश्व में शांति के लिए भारत और जापान के संबंधों को अहम बताने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चीन से जुड़े एक प्रश्न का सामना करना पड़ा। मोदी अपनी जापान यात्रा के चौथे दिन उस समय अचकचा गए जब सेक्रेड हार्ट विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय अध्ययन की एक छात्रा ने उनसे पूछा कि चीन को अलग-थलग रखकर दुनिया में शांति और विकास की बात कैसे हो सकती है।
इस पर प्रधानमंत्री की टिप्पणी थी, ‘चीन से परेशान लगती हैं’। उन्होंने अपने जवाब में चीन का उल्लेख तो नहीं किया लेकिन कहा कि भारत और जापान लोकतांत्रिक देश हैं। ये दोनों देश जितना सकारात्मक सोचेंगे और लोकतांत्रिक मूल्यों को आगे बढ़ाएंगे उतना ही दुनिया को फायदा होगा।
मोदी ने कहा कि भारत और जापान को दूसरों के काम पर ध्यान देने के बजाए अपने काम पर ध्यान देना चाहिए, विकास, प्रगति और शांति होगी तो परिस्थतियां अपने आप बदलेंगी। उन्होंने एक उदाहरण देते हुए कहा कि अगर एक कमरे में भयंकर अंधकार है तो हर कोई उसे अपने तरीके से मिटाने का प्रयास करेगा। कोई चाकू चलाएगा तो कोई तलवार। लेकिन समझदार व्यक्ति दीया जलाकर इस अंधेरे को मिटाएगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि हम विश्व में शांति, समृद्धि और लोकतंत्र की लौ जलाएंगे तो अंधकार अपने आप दूर हो जाएगा।
इस पर प्रधानमंत्री की टिप्पणी थी, ‘चीन से परेशान लगती हैं’। उन्होंने अपने जवाब में चीन का उल्लेख तो नहीं किया लेकिन कहा कि भारत और जापान लोकतांत्रिक देश हैं। ये दोनों देश जितना सकारात्मक सोचेंगे और लोकतांत्रिक मूल्यों को आगे बढ़ाएंगे उतना ही दुनिया को फायदा होगा।
मोदी ने कहा कि भारत और जापान को दूसरों के काम पर ध्यान देने के बजाए अपने काम पर ध्यान देना चाहिए, विकास, प्रगति और शांति होगी तो परिस्थतियां अपने आप बदलेंगी। उन्होंने एक उदाहरण देते हुए कहा कि अगर एक कमरे में भयंकर अंधकार है तो हर कोई उसे अपने तरीके से मिटाने का प्रयास करेगा। कोई चाकू चलाएगा तो कोई तलवार। लेकिन समझदार व्यक्ति दीया जलाकर इस अंधेरे को मिटाएगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि हम विश्व में शांति, समृद्धि और लोकतंत्र की लौ जलाएंगे तो अंधकार अपने आप दूर हो जाएगा।