'हिंदू धर्म है जितना प्यारा, उतना ही इस्लाम है। जितनी पावन रामायण है, उतनी पाक कुरान है। हिंदी-उर्दू भाषा दोनों बहनें हैं एक दूजे की, हिंदू से न मुस्लिम से दोनों से हिंदुस्तान है'। हिंदू मुस्लिम एकता को बयां कर रही इन पंक्तियों का असल मर्म बुलंदशहर जनपद के पहासू क्षेत्र में उस समय देखने को मिला, जब एक मुस्लिम पिता ने अपनी दोनों बेटियों का निकाह शिव मंदिर में परंपरागत रीतिरिवाज से कराया।
महज निकाह ही नहीं, बल्कि बरातियों की दावत का इंतजाम भी हिंदू दोस्त के घर पर ही किया गया। चुनावी बयार में नेताओं द्वारा हिंदू मुस्लिम एकता में घोले गए जहर के बीच दोनों धमरें की यह दोस्तानी शादी भाईचारे की मिसाल बनकर उभरी है। दरअसल इस्लाम खान ने अपनी दो बेटियों का निकाह बुलंदशहर निवासी सलमान और शाहिद से तय किया था। उनकी दिली ख्वाहिश थी कि वह अपनी बेटियों के निकाह मजहबी एकता की मिसाल बनाकर समाज के सामने पेश करें। इस ख्वाहिश को परवान चढ़ाने के लिए उन्होंने गांव के शिव मंदिर में दोनों बेटियों का निकाह करने की योजना बनाई। सोमवार को गांव में बरात पहुंची। मंदिर परिसर में काजी यामीन और वकील अख्तर खान ने जोड़ों का निकाह कराया। महज निकाह ही नहीं, बरातियों की दावत का खाना हिंदू परिवार संतोष के घर पर बनवाया गया। दावत शाकाहारी। मजहबी एकता की मिसाल बनी यह शादी पूरे इलाके में चर्चा का विषय बनी रही।
महज निकाह ही नहीं, बल्कि बरातियों की दावत का इंतजाम भी हिंदू दोस्त के घर पर ही किया गया। चुनावी बयार में नेताओं द्वारा हिंदू मुस्लिम एकता में घोले गए जहर के बीच दोनों धमरें की यह दोस्तानी शादी भाईचारे की मिसाल बनकर उभरी है। दरअसल इस्लाम खान ने अपनी दो बेटियों का निकाह बुलंदशहर निवासी सलमान और शाहिद से तय किया था। उनकी दिली ख्वाहिश थी कि वह अपनी बेटियों के निकाह मजहबी एकता की मिसाल बनाकर समाज के सामने पेश करें। इस ख्वाहिश को परवान चढ़ाने के लिए उन्होंने गांव के शिव मंदिर में दोनों बेटियों का निकाह करने की योजना बनाई। सोमवार को गांव में बरात पहुंची। मंदिर परिसर में काजी यामीन और वकील अख्तर खान ने जोड़ों का निकाह कराया। महज निकाह ही नहीं, बरातियों की दावत का खाना हिंदू परिवार संतोष के घर पर बनवाया गया। दावत शाकाहारी। मजहबी एकता की मिसाल बनी यह शादी पूरे इलाके में चर्चा का विषय बनी रही।