रंगों के इस त्योहार में महज दो ही दिन बचे हैं, जिसका असर बाजारों में साफ दिखने लगा है।एक ओर बाजारों में जगह-जगह पिचकारियों की दुकानें सजी हुई हैं, वहीं मिठाई की दुकानों पर गुजिया और अन्य मिठाइयों के खासे इंतजाम हैं।
बाजार में चारों ओर सजी पिचकारियों की दुकानों पर चीन निर्मित पिचकारियां ही नजर आ रही हैं। 15 रुपये से 1000 रुपये तक की कीमत में मौजूद ये पिचकारियां बच्चों को खासतौर पर आकर्षित कर रही हैं। दुकानदारों के मुताबिक हर कीमत में उपलब्ध व आकर्षक दिखने के कारण बच्चों का रुझान इनकी तरफ ज्यादा है। हालाकि पिछले वर्षो की तुलना में अब पिचकारियों की बिक्री काफी कम हुई है, इसलिए लोग काम चलाने भर के लिए 60 से 200 तक की कीमत की पिचकारियां ले रहे हैं।
परीक्षाओं ने फीका किया रंग
तमाम तरह के इंतजामों के बावजूद बाजारों में बच्चों की परीक्षाओं का असर साफतौर पर दिखाई दे रहा है। दुकानदारों के मुताबिक हर बार की तुलना में लोगों की संख्या में कमी आयी है। इसका प्रमुख कारण वे होली के साथ बच्चों की होने वाली परीक्षाओं को मान रहे हैं वहीं दिनोंदिन लोगों की बदलती जीवनशैली के कारण भी लोगों का रुझान इस ओर कुछ कम हुआ है।
बाजार में चारों ओर सजी पिचकारियों की दुकानों पर चीन निर्मित पिचकारियां ही नजर आ रही हैं। 15 रुपये से 1000 रुपये तक की कीमत में मौजूद ये पिचकारियां बच्चों को खासतौर पर आकर्षित कर रही हैं। दुकानदारों के मुताबिक हर कीमत में उपलब्ध व आकर्षक दिखने के कारण बच्चों का रुझान इनकी तरफ ज्यादा है। हालाकि पिछले वर्षो की तुलना में अब पिचकारियों की बिक्री काफी कम हुई है, इसलिए लोग काम चलाने भर के लिए 60 से 200 तक की कीमत की पिचकारियां ले रहे हैं।
परीक्षाओं ने फीका किया रंग
तमाम तरह के इंतजामों के बावजूद बाजारों में बच्चों की परीक्षाओं का असर साफतौर पर दिखाई दे रहा है। दुकानदारों के मुताबिक हर बार की तुलना में लोगों की संख्या में कमी आयी है। इसका प्रमुख कारण वे होली के साथ बच्चों की होने वाली परीक्षाओं को मान रहे हैं वहीं दिनोंदिन लोगों की बदलती जीवनशैली के कारण भी लोगों का रुझान इस ओर कुछ कम हुआ है।