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Bcci चीफ नहीं बनेंगे श्रीनि!

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    नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उसने एन. श्रीनिवासन को दोबारा अध्यक्ष पद पर बहाल करने का आदेश दिए जाने का अनुरोध किया था। साथ ही न्यायालय ने आईपीएल के छठे संस्करण में हुए कथित स्पॉट फिक्सिंग और सट्टेबाजी मामलों की जांच के लिए गठित मुकुल मुद्गल समिति को अपनी अंतिम रिपोर्ट पेश करने के लिए दो महीने का अतिरिक्त समय दे दिया। अदालत इस मामले की अगली सुनवाई अब 10 नवंबर को करेगी।
    श्रीनिवासन को दोबारा अध्यक्ष बनाए जाने के अनुरोध को ठुकराते हुए न्यायालय ने कहा कि वह आईपीएल मामले की जांच पूरी होने से पहले पद नहीं संभाल सकते। दरअसल, श्रीनिवासन और बीसीसीआई ने कहा था कि चूंकि इस महीने के अंत में बोर्ड की वार्षिक बैठक होनी है, इसलिए उन्हें पद दोबारा संभालने की अनुमति दी जाए। बीसीसीआई की ओर से दलील पेश कर रहे वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने न्यायालय से कहा कि श्रीनिवासन पहले ही अध्यक्ष पद छोड़ चुके हैं और अनिश्चित काल तक इसी स्थिति में नहीं बने रह सकते।
    सिब्बल ने न्यायमूर्ति टी एस ठाकुर और न्यायमूर्ति फकीर मोहम्मद इब्राहिम कलिफुल्ला की पीठ से कहा कि मुद्गल समिति द्वारा 29 अगस्त को न्यायालय को सौंपी गई रिपोर्ट में अगर श्रीनिवासन के खिलाफ कुछ नहीं है तो उन्हें बीसीसीआई के अध्यक्ष पद पर बहाल कर देना चाहिए। न्यायालय ने हालांकि इस अनुरोध को ठुकराते हुए और अप्रैल में दिए अपने फैसले का हवाला देते हुए कहा कि जांच पूरा होने से पहले इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती। अदालत ने कहा कि बोर्ड की वार्षिक बैठक हमारा विषय नहीं है।
    न्यायालय ने कहा कि हालांकि मुद्गल समिति की रिपोर्ट में श्रीनिवासन के खिलाफ कुछ नहीं है, लेकिन चूंकि मामले की जांच अभी जारी है इसलिए श्रीनिवासन को अभी बहाल नहीं किया जा सकता। माना जा रहा है कि दो महीने का अतिरिक्त समय मिलने के बाद मुद्गल समिति अब कुछ मौजूदा भारतीय खिलाड़ियों से भी बात कर सकती है। भारतीय टीम फिलहाल इंग्लैंड में है।
    उच्चतम न्यायालय के सामने यह मामला पिछले साल जून में आया था। बिहार क्रिकेट संघ (सीएबी) के सचिव आदित्य वर्मा ने जून 2013 में बीसीसीआई द्वारा आईपीएल की जांच के लिए गठित दो सदस्यीय समिति की निष्पक्षता पर सवाल उठाए थे। बाद में मुंबई हाई कोर्ट ने भी इस समिति को गौरकानूनी करार दिया। इसके बाद बीसीसीआई ने सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले के खिलाफ अर्जी दी।
    सुप्रीम कोर्ट ने पूरे मामले को देखते हुए निष्पक्ष जांच के लिए मुकुल मुद्गल की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति गठित की। समिति के दो अन्य सदस्य एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एल. नागेश्वर राव और वरिष्ठ वकील निलॉय दत्ता हैं। इसी साल जून में सौरभ गांगुली भी इस समिति से सहयोगी सदस्य के रूप में जुड़े।
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