ईरान में अजब कानून, वॉलीबाल मैच देखने गई महिला को जेल में डाला
ईरान में एक ब्रिटिश महिला को दो महीने तक सिर्फ इसलिए जेल में बंद रहना पड़ा, क्योंकि उसने पुरूषों का वॉलीबाल मैच देखने की कोशिश की। 25 वर्षीय घोनचेह घवामी को तेहरान की एविन जेल में बंद कर दिया गया, क्योंकि वो ईरान और इटली के बीच खेले जा रहा वॉलीबाल मैच देखने स्टेडियम पहुंच गईं थी। घवामी के परिवार के मुताबिक उसने 41 दिन एकान्त कारावास में बिताए।
घवामी कुछ महिलाओं के साथ ईरान के तमाम प्रतिबंधों के खिलाफ विरोध जताने के लिए आजादी स्टेडियम गईं थी। ये सभी 1979 के बाद आई इस्लामिक क्रांति का विरोध करने गईं थी, जिसके तहत ईरान में रहने वाली महिलाओं पर तमाम तरह के प्रतिबंध लगाए गए हैं।
लंदन में कानून की पढ़ाई करने वाली घवामी को पहले तो गिरफ्तार करके छोड़ दिया गया, लेकिन जब वो अपना सामान लेने वापस गईं, तो उन्हें दोबारा गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। घवामी के साथ ही प्रदर्शन में शामिल बाकी लोगों को भी गिरफ्तार किया गया।
रिहाई के लिए कैंपेन
घवामी की रिहाई के लिए सोशल मीडिया के साथ ही दुनियाभर से ईरान पर दवाब पड़ा। फेसबुक पेज बनाकर और ट्विटर पोस्ट के जरिए लोगों ने उसकी रिहाई के लिए कैंपेन चलाया गया। साथ ही, मानवाधिकार संगठन एमेनेस्टी इंटरनेशनल ने भी घवामी की स्थिति पर चिंता जताई। इन सबके बाद घवामी की रिहाई हुई।
ईरान में एक ब्रिटिश महिला को दो महीने तक सिर्फ इसलिए जेल में बंद रहना पड़ा, क्योंकि उसने पुरूषों का वॉलीबाल मैच देखने की कोशिश की। 25 वर्षीय घोनचेह घवामी को तेहरान की एविन जेल में बंद कर दिया गया, क्योंकि वो ईरान और इटली के बीच खेले जा रहा वॉलीबाल मैच देखने स्टेडियम पहुंच गईं थी। घवामी के परिवार के मुताबिक उसने 41 दिन एकान्त कारावास में बिताए।
घवामी कुछ महिलाओं के साथ ईरान के तमाम प्रतिबंधों के खिलाफ विरोध जताने के लिए आजादी स्टेडियम गईं थी। ये सभी 1979 के बाद आई इस्लामिक क्रांति का विरोध करने गईं थी, जिसके तहत ईरान में रहने वाली महिलाओं पर तमाम तरह के प्रतिबंध लगाए गए हैं।
लंदन में कानून की पढ़ाई करने वाली घवामी को पहले तो गिरफ्तार करके छोड़ दिया गया, लेकिन जब वो अपना सामान लेने वापस गईं, तो उन्हें दोबारा गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। घवामी के साथ ही प्रदर्शन में शामिल बाकी लोगों को भी गिरफ्तार किया गया।
रिहाई के लिए कैंपेन
घवामी की रिहाई के लिए सोशल मीडिया के साथ ही दुनियाभर से ईरान पर दवाब पड़ा। फेसबुक पेज बनाकर और ट्विटर पोस्ट के जरिए लोगों ने उसकी रिहाई के लिए कैंपेन चलाया गया। साथ ही, मानवाधिकार संगठन एमेनेस्टी इंटरनेशनल ने भी घवामी की स्थिति पर चिंता जताई। इन सबके बाद घवामी की रिहाई हुई।