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ज़िंदगी में वो शख़्स

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  • ज़िंदगी में वो शख़्स

    ज़िंदगी की राह में जब मिलते हैं मोड़, मिला एक शख़्स, जैसे मिल जाए सोने की बूँद। उसकी मुस्कान, जैसे चाँदनी रात, उसकी बातें, जैसे सुकून की बात।

    वो सिखाता है हमें जिंदादिली का हूनर, हर मुश्किल में, वो बनता है सहारा, जैसे सूरज का उतर। उसकी आँखों में छुपी है एक गहरी सागर, उसकी हँसी में बसी है सुकून की बहार।

    जब बिखरे जीवन की चादर, और सब कुछ हो धुंधला, वो आता है जैसे लहरों में मिल जाए एक क़िबला। उसकी उपस्थिति से सज जाती है हर एक सुबह, उसके बिना तो हर दिन लगता है जैसे हो अधूरा सफर।

    वो शख़्स, जो दिल से दिल को जोड़ता है, हर घड़ी को खास बना देता है। उसके बिना जैसे अधूरा हो हर अहसास, वो ज़िंदगी का अमूल्य रत्न, सबका प्यारा खास।
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