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क्या आप जानते है? मध्य प्रदेश में दरगाह पर ह&a

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  • क्या आप जानते है? मध्य प्रदेश में दरगाह पर ह&a

    मध्य प्रदेश के सागर जिले में दरगाह पर हिंदू मनाते हैं ईद

    धर्म के नाम पर सियासत करने वालों ने हमेशा समाज को बांटने की चाल चली है, लेकिन इबादत और आस्था के आगे ऐसी चालें नाकाम साबित होती रही हैं। ऐसी एक मिसाल मध्य प्रदेश के सागर जिले में स्थित मुक्कनशाह अली चिश्ती पीर की दरगाह पर मनाई जाने वाली जश्न-ए-ईद की है। यहां रमजान के पाक महीने में हिंदू लोग नमाज अता करते हैं और धूमधाम से ईद मनाते हैं। खास बात तो यह है कि आठ हजार की आबादी वाले इस गांव में एक भी मुस्लिम परिवार नहीं है।

    बाबा मुक्कनशाह की दरगाह सागर जिले के बसाहरी गांव में है। इस दरगाह पर बीते कुछ वर्षों से नमाज एवं ईद मनाने की रस्म होती आ रही है। इस रस्म को मुस्लिम परिवार ही नहीं, बल्कि हिंदू परिवार भी निभाते आ रहे हैं।गांव के लोगों की मानें तो रमजान और खासकर ईद के मौके पर यहां दरगाह पर चादर चढ़ाई जाती है और सेवइयां बांटी जाती हैं। इस दरगाह के खिदमतगार प्रेमशंकर सोनी हैं। वह पिछले 11 वर्षों से एक रोजेदार की तरह ही रोजा रखते हैं और नियमित रूप से नमाज अता करते हैं।

    यह दरगाह 200 वर्ष पुरानी है। पिछले कई वर्षों से बसाहरी गांव में एक भी मुस्लिम परिवार नहीं है, इसके बावजूद दरगाह पर चिराग रखने, अगरबत्ती जलाने और नमाज अता करने का सिलसिला चला आ रहा है। गांववासी उदय प्रताप बताते हैं कि आठ हजार की आबादी वाले इस गांव में करीब तीन दशक से कोई मुस्लिम परिवार नहीं है, लेकिन दरगाह पर लोग नियमित रूप से सजदा करते हैं।

    ईद के मौके पर इस गांव में जलसे का आयोजन किया जाता है। जलसा से पहले रोजेदार जुलूस की शक्ल में पूरे गांव में घूमने के बाद दरगाह पर पहुंचते हैं और इसके बाद वहां चादर चढ़ाई जाती है। फिर ईद की बधाई देने का सिलसिला शुरू होता है। दरगाह पर ही सेवइयां बांटी जाती हैं।

    बसाहरी गांव की इस दरगाह पर मनाई जाने वाली ईद उन लोगों के लिए एक सबक है, जो धर्म के आधार पर लोगों को बांटकर अपनी राजनीतिक मंशा साधने में यकीन रखते हैं।



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